हाल ही में एक रूसी वैज्ञानिक जिनका नाम
अनातोली ब्रौउचकोव है ने इस अमरता की कहानी के बारे में सत्य होने का दावा किया और
कहा की उन्होंने इंसान को अमर ( जो कभी नहीं मरता) बनाने वाला वो नायाब तरीक़ा खोज
लिया है ।
अनातोली ब्रौउचकोव है ने इस अमरता की कहानी के बारे में सत्य होने का दावा किया और
कहा की उन्होंने इंसान को अमर ( जो कभी नहीं मरता) बनाने वाला वो नायाब तरीक़ा खोज
लिया है ।
वे कहते हैं कि ये प्रयोग मैं ख़ुद पर कर चुका
हुआ ।आइए आगे आपको बताते हैं उनके इस प्रयोग का असली सच ।
हुआ ।आइए आगे आपको बताते हैं उनके इस प्रयोग का असली सच ।
एक दुर्लभ बैक्टीरिया पर रिसर्च कर रहे रूसी
वैज्ञानिक अनातोली ब्रॉउचकोव ने उस बैक्टीरिया को अपने शरीर में प्रवेश करा दिया
है और वो भी बेहद अवैज्ञानिक तरीके से । बता दें कि इस बैक्टीरिया का नाम बसिलस एफ
है और मिली जानकारी के अनुसार ये बैक्टीरिया 35 लाख सालों से ध्रुवीय इलाके में जिंदा
पड़ा था
वैज्ञानिक अनातोली ब्रॉउचकोव ने उस बैक्टीरिया को अपने शरीर में प्रवेश करा दिया
है और वो भी बेहद अवैज्ञानिक तरीके से । बता दें कि इस बैक्टीरिया का नाम बसिलस एफ
है और मिली जानकारी के अनुसार ये बैक्टीरिया 35 लाख सालों से ध्रुवीय इलाके में जिंदा
पड़ा था
उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने इस बैक्टीरिया
को अपने शरीर में प्रवेश करवाया है मुझे दो साल से कोई फ्लू नहीं हुआ है यहाँ तक
कि मैं ज्यादा काम करने लगा हूं और बेहद मजबूत अनुभव कर रहा हूं । ब्रचकोव ने आगे
ये भी बताया कि यह बैक्टीरिया शरीर पर कैसे काम करता है, हमें अभी तक यह
नहीं पता है लेकिन हम इसका प्रभाव देख सकते हैं यानी ये काम करता है ।
को अपने शरीर में प्रवेश करवाया है मुझे दो साल से कोई फ्लू नहीं हुआ है यहाँ तक
कि मैं ज्यादा काम करने लगा हूं और बेहद मजबूत अनुभव कर रहा हूं । ब्रचकोव ने आगे
ये भी बताया कि यह बैक्टीरिया शरीर पर कैसे काम करता है, हमें अभी तक यह
नहीं पता है लेकिन हम इसका प्रभाव देख सकते हैं यानी ये काम करता है ।
उन्होंने कहा कि अगर हम या रीसर्च करने वाले
कोई भी वैज्ञानिक यह जानने में सक्षम हो सके कि आखिर यह बैक्टीरिया कैसे खुद को
जीवित रखता है और इसका काम करने का तरीक़ा क्या है तो निश्चित तौर पर इस प्रयोग से
मनुष्यों की उम्र को बढ़ाना संभव हो सकता है, इस प्रयोग को पहले चूहे और मधुमक्खी पर किया जा चूका है ।
कोई भी वैज्ञानिक यह जानने में सक्षम हो सके कि आखिर यह बैक्टीरिया कैसे खुद को
जीवित रखता है और इसका काम करने का तरीक़ा क्या है तो निश्चित तौर पर इस प्रयोग से
मनुष्यों की उम्र को बढ़ाना संभव हो सकता है, इस प्रयोग को पहले चूहे और मधुमक्खी पर किया जा चूका है ।
उन्होंने आगे बताया कि इस प्रयोग से मौत के
कगार पर खड़ा ज़्यादा उम्र का बुड्ढा चूहा फिर से जवान हो गया और साथ ही साथ उसके
अंदर प्रजनन करने की क्षमता दुबारा से विकसित हो गयी । इसी तरह का प्रयोग मधुमक्खी
पर भी किया गया और वो भी सफल रहा,
ग़ौरतलब है कि काफ़ी बड़े बड़े वैज्ञानिकों का ये मानना है कि इस धरती पर कई ऐसे
सूक्ष्मजीव हैं जो अमर हैं । इन जीवों की कोशिकाएं हर परिस्थिति में खुद को बचाने
में सक्षम होती हैं ।
कगार पर खड़ा ज़्यादा उम्र का बुड्ढा चूहा फिर से जवान हो गया और साथ ही साथ उसके
अंदर प्रजनन करने की क्षमता दुबारा से विकसित हो गयी । इसी तरह का प्रयोग मधुमक्खी
पर भी किया गया और वो भी सफल रहा,
ग़ौरतलब है कि काफ़ी बड़े बड़े वैज्ञानिकों का ये मानना है कि इस धरती पर कई ऐसे
सूक्ष्मजीव हैं जो अमर हैं । इन जीवों की कोशिकाएं हर परिस्थिति में खुद को बचाने
में सक्षम होती हैं ।
अनातोली ने बताया कि यह बैक्टीरिया लगातार बिना
रुके बायोलॉजीकल एक्टिव सब्सटेंस का निर्माण
करता है जिससे जीवित प्राणियों की रोगप्रतिरोधक छमता कई सौ गुणा बढ़ जाती है । यही
नहीं इन बर्फीले इलाकों से कुछ और बैक्टीरिया भी मिले हैं, जिनमें आश्चर्यजनक
गुण हैं । इनमें से एक बैक्टीरिया पेट्रोलियम अणुओं को तोड़कर पानी में तब्दील
करने में सक्षम है।
रुके बायोलॉजीकल एक्टिव सब्सटेंस का निर्माण
करता है जिससे जीवित प्राणियों की रोगप्रतिरोधक छमता कई सौ गुणा बढ़ जाती है । यही
नहीं इन बर्फीले इलाकों से कुछ और बैक्टीरिया भी मिले हैं, जिनमें आश्चर्यजनक
गुण हैं । इनमें से एक बैक्टीरिया पेट्रोलियम अणुओं को तोड़कर पानी में तब्दील
करने में सक्षम है।
अगर अमरता का यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा तो यह
मानव इतिहास का सबसे बड़ा
और सफल प्रयोग होगा और यह प्रयोग मानव को महामानव बना देगा
मानव इतिहास का सबसे बड़ा
और सफल प्रयोग होगा और यह प्रयोग मानव को महामानव बना देगा
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