पांडवो के तेरेहवे वर्ष के अग्यातवास का समय था
पाँचो पाण्डव और द्रौपदी जंगल मे छूपने का स्थान ढूंढ रहे थे, तब शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पड़ी और शनिदेव के मन में विचार आया कि इन सब में बुद्धिमान कौन है परिक्षा ली जाय।
शनिदेव ने एक बहोत विशाल माया का महल बनाया, कई योजन दूरी में उस महल के चार कोने थे, पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण।
जंगल मे टहलते हुये अचानक भीम की नजर महल पर पड़ी और वो आकर्षित हो गया।
भीम, ज्येष्ठ भ्राता यधिष्ठिर से बोला- भैया मुझे महल देखना है , भ्राता यधिष्ठिर ने कहा जाओ देखो
भीम महल के द्वार पर पहुंचा वहाँ द्वार पर एक बंदीग्रुह था और शनिदेव दरबान के रूप में खड़े थे,
भीम बोला- मुझे महल देखना है!
शनिदेव ने कहा- महल मे प्रवेश करने की कुछ शर्त है :
पेहली शर्त- महल में चार कोने हैं आप एक ही कोना देख सकते हैं।
दुसरी शर्त - महल में जो देखोगे उसकी मुझे सार सहित व्याख्या करोगे।
तीसरी शर्त- शर्त अगर व्याख्या नहीं कर सके तो यहा बंदिग्रुह मे कैद कर लिए जाओगे।
भीम ने कहा- मैं स्वीकार करता हूँ ऐसा ही होगा और वह महल के पुर्वी कोने की ओर गया ।
वहां जाकर उसने अद्भूत पशु पक्षी और फूलों एवं फलों से लदे वृक्षों का नजारा देखा, आगे जाकर देखता है कि तीन कुंए है अगल-बगल में छोटे कुंए और बीच में एक बडा कुँआ है
बीच वाले बड़े कुंए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओं को पानी से भर देता है। फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओं में उफान आता है तो खाली पड़े बड़े कुंए का पानी भर नही पाता, आधा रह जाता है इस क्रिया को भीम कई बार देखता है पर समझ नहीं पाता और लौटकर दरबान के पास आता है।
दरबान पुछता है – क्या देखा आपने ?
भीम कहता है- महाशय मैंने पेड़ पौधे पशु पक्षी देखा वो मैंने पहले कभी नहीं देखा था जो अजीब थे। एक बात समझ में नहीं आई , जब बडे कुये के पानी से दोनो कुवे भर जाते है तब छोटा कुवा बडे कुवे को क्यु नही भर पाता छोटे कुंए पानी से भर जाते हैं बड़ा क्यों नहीं भर पाता ये समझ में नहीं आया।
दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये हैं और बंदी घर में बैठा दिया।
कुछ देर बाद भीम की तलाश मे अर्जुन मेहल आया
- मुझे महल देखना है, दरबान ने शर्त बता दी और अर्जुन पश्चिम वाले कोने की तरफ चला गया।
आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है। एक खेत में दो फसल उग रही थी एक तरफ बाजरे की फसल दूसरी तरफ मक्का की फसल ।
बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही थी तथा मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही थी । अजीब लगा कुछ समझ नहीं आया वापिस द्वार पर आ गया।
दरबान ने पुछा क्या देखा?
अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की बात समझ में नहीं आई।
शनिदेव ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी हैं।
बाद मे नकुल आया
और बोला मुझे महल देखना है । दरबान बने शनिदेव ने शर्त बता दी,नकुल ने शर्त स्वीकार की
फिर वह उत्तर दिशा के कोने की और गया वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें है और जब गायो को भूख लगती है तो अपनी छोटी बछियों का दूध पीती है उसे कुछ समझ नहीं आया द्वार पर आया ।
शनिदेव ने पुछा क्या देखा ?
नकुल बोला महाशय गाय बछियों का दूध पीती है यह समझ नहीं आया तब उसे भी बंदी बना लिया।
फिर सेहदेव मेहल आया
और बोला मुझे महल देखना है और वह दक्षिण दिशा की और गया
अंतिम कोना देखने के समय वो देखता है कि वहां पर एक सोने की बड़ी चट्टन एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई है चट्टान डगमग हिलती है , पर गिरे नहीं छूने पर भी वैसे ही रहती है, चांदी का सिक्का भी नही गिरता ना ही कुचला जाता है,सेहदेव को ये सब समझ नहीं आया वह वापिस द्वार पर आ गया और चांदी के सिक्के के ना दबने की बात समझ में नहीं आई तब वह भी बंदी हो गया।
चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित महल में गये।
भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी है।
तब युधिश्थिर बोले कि अगर वो सारे सवालो के जवाब दे दे तो आप सभी को छोड दे अन्यथा उन्हे भी बंदी बना लिया जाये
युधिष्ठिर ने भीम से पुछा , भीम तुमने क्या देखा ?
भीम ने कुंऐ के बारे में बताया
तब युधिष्ठिर ने कहा- यह कलियुग में होने वाली घटना है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पायेंगे।
भीम को छोड़ दिया।
अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा ??
उसने फसल के बारे में बताया
युधिष्ठिर ने कहा- यह कलयुग मे होने वाला वंश परिवर्तन है , कलयुग मे जाति व्यवस्था बिगड जायेगी
अर्थात ब्राह्मण के घर शूद्र जन्मेगा और शूद्र के घर बनिए जन्मेंगे।
अर्जुन भी छूट गया।
नकुल से पूछा तुमने क्या देखा तब उसने गाय का वृतान्त बताया ।
तब युधिष्ठिर बोले कलियुग में माताऐं अपनी बेटियों के घर में पलेंगी, बेटी का दाना खायेंगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे ।
तब नकुल भी छूट गया।
आखिर मे
सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा, सेहदेव ने सोने की चट्टान का वृतांत बताया,
तब युधिष्ठिर बोले- कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा, धर्म डगमग हो जायेगा, परन्तु धर्म फिर भी जिंदा रहेगा , पूरी तरेह से खत्म नहीं होगा।।
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